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दिव्यांगता और नृत्य के बीच, नृत्य ही असली विजेता है
कमलेश पटेल गलत तरीके से इंजेक्शन लगने के कारण लकवाग्रस्त हो गए थे, लेकिन डांस ने उन्हें नई जिंदगी दी. आज वे दिव्यांगों के लिए ‘महादेव डांस स्टूडियो’ चलाते हैं
नई दिल्ली: मंच तैयार है. मेहमान परफॉरमेंस का इंतजार कर रहे हैं. काले रंग की चमकदार ड्रेस पहने कमलेश पटेल मंच पर आते हैं. वे अपने पैरों को कंधों पर रखते हैं और अपने दिल की आवाज सुन नाचना शुरू कर देते हैं. एक स्टेप से दूसरा स्टेप लेने में उनका शरीर पानी की तरह फ्लो करता है. कमलेश के चलने, कूदने, घूमने और स्प्लिट करने पर तालियां और तेज हो जाती हैं, यह सब वे अपने दोनों हाथों की मदद से करते हैं.
वे कहते हैं,
“चुनौतियां आपकी जिंदगी में बदलाव लाती हैं.”
गुजरात के वडोदरा जिले के पादरा में जन्मे कमलेश पिछले बीस साल से अपने हथेलियों के दम पर डांस कर रहे हैं.
उनके डांस में ऐसा क्या अलग है?
कमलेश जब पांच साल के थे, तब उन्हें बुखार हुआ. डॉक्टर ने उन्हें एक इंजेक्शन दिया, जो शायद गलत तरीके से लगाया गया था. इससे उनकी नसें ब्लॉक हो गईं, जिससे उनकी कमर के नीचे लकवा मार गया.
गणेश चतुर्थी के अवसर पर कमलेश की इच्छा होती है कि काश उसके भी पैर होते. क्योंकि तब उनका मन भीड़ में शामिल होकर नाचने को करता है.
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कमलेश याद करते हैं,
“डांसर बनना मेरे लिए एक दूर का सपना था. लेकिन एक दिन भगवान गणेश की पूजा करते हुए मैंने अचानक अपने पैरों को अपने कंधों पर रख लिया और नाचने लगा.”
इसके बाद वह अपने घर से 15 किलोमीटर दूर डांस क्लास में जाने लगे. वह अपनी खास साइकिल से यह दूरी तय करते थे.
वह कहते हैं,
“दिव्यांगता के कारण ट्रेनर मेरा ध्यान नहीं रखता था. मैं कोने में बैठकर स्टेप्स फॉलो करता और घर जाकर उनकी प्रैक्टिस करता.”
इसके बाद कमलेश ने रियलिटी शो में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. 2009 में डांस इंडिया डांस के लिए ऑडिशन देने के बाद वह मशहूर हो गए. वह कंटेस्टेंट के तौर पर गए और जज बनकर बाहर आए.
कमलेश ने कहा, “साथी कंटेस्टेंट ने मेरा मजाक उड़ाया. लेकिन, जीवन में सफल होने के लिए इंसान को अपने मन पर कंट्रोल रखना चाहिए. भावनात्मक और मानसिक स्थिरता किसी भी शारीरिक दिव्यांगता पर जीत हासिल कर सकती है.”
वह अपनी पत्नी के साथ मिलकर दिव्यांगों के लिए ‘महादेव डांस स्टूडियो’ चलाते हैं. इसका उद्देश्य स्टेज शो के जरिए दिव्यांगों को प्रेरित और सपोर्ट करना है.
कमलेश कहते हैं,
“भगवान ने मेरे पैर छीन लिए, लेकिन उन्होंने मुझे आत्मविश्वास दिया. डांस ने मुझे अपनी दिव्यांगता को दुनिया के सामने रखने में मदद की है.”
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