प्रेरक कहानियां
घोर निराशा से उबर कर खेलों में कश्मीर की सफलता का चेहरा बने पैरा एथलीट गौहर अहमद
हर किसी के लिए प्रेरक है शारीरिक दिव्यांगता को मात देकर वॉटर स्पोर्ट्स में कश्मीर के पहले पैरा-एथलीट बने 26 वर्षीय गौहर की कहानी
नई दिल्ली: “जहां चाह, वहां राह” जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के केनिहामा नौगाम गांव के पैरा-एथलीट गौहर अहमद की जिंदगी का यही फलसफा है, जो दिव्यांग लोगों के लिए निराशा के साए से निकलकर कामयाबियों को छूने की एक मिसाल बन गए हैं. गौहर बताते हैं कि जब वह महज छह साल के थे, उनका एक्सीडेंट हो गया और उन्होंने अपना दाहिना पैर खो दिया था. लंबे जीवन में सामने आने वाली कठिन चुनौतियों को समझने के लिए उस वक्त उनकी उम्र बहुत कम थी.
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां
काफी छोटा होने के चलते गौहर को नहीं पता था कि उनकी स्थिति कितनी गंभीर है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उन्हें अपने सहपाठियों और यहां तक कि स्कूल में कुछ स्टाफ सदस्यों की असहज निगाहों और अलगाव को सहन करना पड़ा. उन सालों को याद करते हुए गौहर अहमद कहते हैं,
“मेरे क्लासमेट मुझे कई अलग-अलग नामों से बुलाते थे, जैसे ‘लंगड़ा’. एक फैकल्टी मेंबर को छोड़कर, कभी किसी ने मुझे टॉयलेट तक पहुंचने में मदद नहीं की. उस टीचर के न होने पर मुझे टॉयलेट जाने के लिए घर पहुंचने तक इंतजार करना पड़ता था.”
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गौहर अपने परिवार के अन्य लोगों की तरह नमाज पढ़ने में सक्षम नहीं थे. वह एक कोने में कुर्सी पर बैठकर नमाज पढ़ते थे. नौगाम क्षेत्र में अशांति के दौरान जब भी परिवार को घर खाली करना पड़ता था, तो उनके भाई बिलाल उन्हें अपने कंधों पर ले जाते थे.
उनकी शारीरिक बाधाएं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ीं. वर्षों से उनके मन में बार-बार अपने जीवन को समाप्त करने के बारे में विचार आते रहे. संकट के ऐसे समय में केवल उनकी मां मरीमा बानो ने उन्हें निराशा से बाहर निकाला. जिन्होंने छह साल का लड़का होने के बाद से उनसे कभी नजरें नहीं हटाईं.
पैरा-डोंगी खिलाड़ी बनने का सफर
26 वर्षीय गौहर के जीवन में 2021 में एक नया मोड़ आया, जब उन्होंने कैनोइंग की दुनिया में प्रवेश किया. उनके फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. अमरीन ने उन्हें उनकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रखने के लिए किसी खेल गतिविधि में शामिल होने की सलाह दी थी. उन्होंने ही गौहर को पूर्व अंतरराष्ट्रीय कैनोइंग खिलाड़ी और कश्मीर के नेहरू पार्क में वाटर स्पोर्ट्स सेंटर की निदेशक बिल्किस मीर से मिलवाया.
गौहर ने इससे पहले कभी कोई खेल नहीं खेला था और वाटर स्पोर्ट्स में उतरना उन्हें काफी मुश्किल लग रहा था. खेल में गौहर की प्रगति के बारे में बात करते हुए, बिल्किस कहती हैं,
“शुरुआती तीन महीने मैंने गौहर को जिम का बुनियादी अभ्यास कराया. इस दौरान कसरत के लिए उसे एक उपकरण से दूसरे उपकरण तक ले जाने के लिए हमें कम से कम दो लोगों की आवश्यकता पड़ती थी. इसके बाद के महीनों में मैंने उसकी सहनशक्ति और शरीर के निचले हिस्से को मजबूत करने पर काम किया.”
उन्होंने बताया कि शुरुआत में गौहर डोंगी पर मुश्किल से एक किलोमीटर की दूरी तय करते थे, लेकिन आज वह आसानी से 7-8 किलोमीटर की दूरी तय कर लेते हैं.
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एक साल के गहन प्रशिक्षण के बाद गौहर अहमद ने 2022 में भोपाल के अपर लेक में आयोजित राष्ट्रीय पैरा-कैनो प्रतियोगिता में भाग लिया और प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान हासिल किया.
तब से प्रतियोगिताओं में भाग लेने का सिलसिला जारी रहा और वह वाटर स्पोर्ट्स में कश्मीर के पहले पैरा-एथलीट बन गए. इस उपलब्धि का श्रेय उनके कोच के अटूट समर्थन को भी जाता है. गौहर की यात्रा के बारे में बात करते हुए, बिल्किस ने कहा,
“मुझे खुशी है कि मैं गौहर को उसके जीवन में एक दिशा खोजने में मदद कर सकी. लेकिन भारत में कश्मीर में बहुत सारे गौहर हैं, जिन्हें अपनी निराशा से बाहर आने के लिए इस तरह के समर्थन की जरूरत है.”
गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर काबू पाने से लेकर वाटर स्पोर्ट्स में राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित होने तक गौहर की असाधारण यात्रा दृढ़ता की शक्ति और एक अडिग भावना की मिसाल है.
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