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खेलो इंडिया पैरा गेम्स: एथलेटिक्स में हिमा दास की तरह चमकना चाहती हैं असम की अनिस्मिता कोंवर
डिब्रूगढ़ के एक मिस्त्री की बेटी, पैरा एथलीट अनिस्मिता कोंवर लोकोमोटर दिव्यांगता (Locomotor disability) से जूझ रही हैं और असम की स्प्रिंट क्वीन हिमा दास की तरह एथलेटिक्स में नाम कमाना चाहती हैं.
नई दिल्ली: मिलिए असम की 14 साल की अनिस्मिता कोंवर (Anismita Konwar) से, जिन्होंने नई दिल्ली में खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2023 में अपने राज्य के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता. T37 कैटेगरी में लंबी कूद में जीत हासिल करने वाली डिब्रूगढ़ के एक मिस्त्री की यह प्रतिभाशाली बेटी असम की स्प्रिंट क्वीन हिमा दास की तरह एथलेटिक्स में नाम कमाना चाहती है. सिर्फ पांच प्रतिभागियों की एक टुकड़ी का प्रतिनिधित्व करते हुए, अनिस्मिता ने पोडियम फिनिश पर अपना फोकस किया. खेलो इंडिया पैरा गेम्स में सबसे छोटे दल में से एक होने के बावजूद, इस दल ने बुधवार (13 दिसंबर) को कुल एक गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीतकर शानदार प्रदर्शन किया और खेलो इंडिया पैरा गेम्स की एक प्रेस रिलीज के मुताबिक उनके इस दिल छू लेने वाले प्रदर्शन की मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने भी सराहना की.
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14 साल की अनिस्मिता, जो आमतौर पर लंबी कूद, 100 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर में प्रतिस्पर्धा करती हैं, साल 2021 में वो पहली बार ट्रैक पर उतरीं और उसी साल बेंगलुरु में आयोजित पैरा नेशनल्स में उन्होंने 200 मीटर में गोल्ड और 100 मीटर में सिल्वर मेडल भी जीता. अब अनिस्मिता ने पहले खेलो इंडिया पैरा गेम्स में असम के लिए पहला गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है. अपने लक्ष्य पर जोर देते हुए उन्होंने कहा,
“बेंगलुरु से पहले, मैंने अपना पहला नेशनल 2021 में ओडिशा में खेला था, जहां मैंने लंबी कूद में गोल्ड और 400 मीटर में सिल्वर मेडल जीता था. इसके बाद 2023 में पुणे में आयोजित नेशनल में मैंने लंबी कूद में गोल्ड मेडल जीता. मेरा सपना देश के लिए खेलना है और मैं हमारी असम की धाविका हिमा दास जैसा बनना चाहती हूं.”
अनिस्मिता डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहती हैं और महिला कोच कुंजुलता गोगोई (Kunjulata Gogoi) की देखरेख में प्रैक्टिस करती हैं. खेलो इंडिया पैरा गेम्स के बारे में बोलते हुए, अनिस्मिता, जो यहां सबसे कम उम्र की प्रतिभागियों में से एक है, ने कहा,
“मुझे यहां आकर अच्छा लगा. पहली बार पैरा गेम्स में खेला और मेडल जीता. मैं चाहती हूं कि जब तक सांस लेती रहूं, तब तक खेलती रहूं.”
खेलो इंडिया पैरा गेम्स में हिस्सा लेने वाले कई पैरा-एथलीटों को इस खेल ने एक नई पहचान दी है – उन्हें एक ऐसा मंच दिया जहां वे दिव्यांगों के रूप में लोगों को अपनी क्षमताएं दिखा सकते हैं.
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अनिस्मिता अब अगले महीने गोवा में होने वाले पैरा नेशनल्स की तैयारी कर रही हैं और वहां 100, 200, 400 मीटर और लंबी कूद में अपनी प्रतिभा दिखाएंगी.
अनिस्मिता हांग्जो एशियाई पैरा खेलों में भाग लेने का मौका चूक गईं, क्योंकि वह 14 साल और उससे ऊपर की उम्र की रिक्वायरमेंट को पूरा नहीं करती थीं. 29 अगस्त को वो 14 साल की हुईं और इस वजह से एशियाई पैरा खेलों में 111 पदक जीतने वाले ऐतिहासिक भारतीय दल का हिस्सा बनने से चूक गईं.
असम पैरालंपिक एसोसिएशन के महासचिव राजीब डे ने कहा,
“वो T37 के लिए 100 मीटर की प्रतिस्पर्धा में भाग ले सकती थी लेकिन वो उसमें शामिल होने के लिए जो उम्र होनी चाहिए उस शर्त को पूरा नहीं करती थी. क्वालीफाइंग टाइम 17.89 सेकेंड था और उनका 17.01 सेकेंड था, जो उनका अब तक का बेस्ट भी है. अब वह इंटरनेशनल इवेंट के लिए एलिजिबल हो गई हैं और हम चाहेंगे कि वो आगे खेलों में देश के लिए मेडल जीतें.”
अनिस्मिता की तरह, खेलो इंडिया पैरा गेम्स ने कई महत्वाकांक्षी पैरा-एथलीटों को पहचान दी है और इन खिलाड़ियों ने साबित किया है कि दिव्यांग होना कोई चुनौती नहीं है.
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(यह स्टोरी NDTV स्टाफ द्वारा एडिट नहीं की गई है और एक सिंडिकेट फीड से पब्लिश हुई है.)