विनीत सरायवाला दिव्यांग लोगों के लिए टैलेंट एग्जीबिशन कंपनी एटिपिकल एडवांटेज के संस्थापक-सीईओ हैं
प्रेरक कहानियां

कभी दृष्टिहीन होने पर थे शर्मिंदा, अब दिव्‍यांग लोगों को आजीविका दे रहे हैं विनीत सरायवाला

क्रिकेट, रेस और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने से लेकर खुद को आइसोलेट करने तक, विनीत सरायवाला के जीवन में 180 डिग्री का मोड़ तब आया जब उन्हें रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा नाम की बीमारी का पता चला

द्वारा: आस्था आहूजा | एडिट: श्रुति कोहली | April 12, 2024 Read In English

नई दिल्ली: दिव्‍यांग लोगों के लिए टैलेंट एक्विजिशन कंपनी एटिपिकल एडवांटेज के संस्थापक-सीईओ विनीत सरायवाला ने कहा, “मेरी नेत्रहीनता मेरे कंट्रोल से बाहर है. इसलिए मैं अपनी ताकत पर ध्यान केंद्रित करने और बाकी को भूलने की कोशिश करता हूं.”

विनीत 15 साल के थे, जब उन्‍हें बताया गया कि वह धीरे-धीरे दृष्टिहीन होते जा रहे हैं. अब बीस साल बाद, वह अपनी बायीं आंख से पूरी तरह से दृष्टिहीन हो चुके हैं और दायीं आंख की दृष्टि केवल 10 प्रतिशत ही बची है.

विनीत याद करते हुए कहते हैं कि,

“मैं बचपन में चश्मा पहनता था लेकिन फिर भी ठीक से नहीं देख पाता था, खासकर रात में. किशोरावस्था के दौरान मेरी दृष्टि बहुत कम हो गई थी, जिससे मुझे चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि स्कूल की साइंस लैब में समस्‍या होना, जहां मुझे टेस्ट ट्यूब को सटीकता से संभालना मुश्किल लगता था. बाद में, सर्जरी के दौरान, मेरी बाईं आंख की रोशनी चली गई, जिसके कारण मैं अब ठीक से नहीं देख सकता था.”

क्रिकेट, रेस और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों में भाग लेने से लेकर खुद को आइसोलेट करने तक, विनीत के लिए जीवन ने 180 डिग्री का मोड़ ले लिया. अपनी दिव्‍यांगता को स्वीकार करने और उसके साथ जीने में उन्हें लगभग एक दशक लग गया.

“मेरी बाईं आंख देखने में दाहिनी आंख से छोटी है और लोग इसके लिए मुझे प्‍वाइंट ऑउट करते थे, मैंने अपनी आंखे छुपाने के लिए टिंटेड ग्लास पहनना शुरू कर दिया. मुझे खुद पर शर्म आ रही थी. देख न पाने के लिए मैं खुद को दोषी मानने लगा था.”

सबकुछ तब बदल गया, जब वह बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में पहुंचे.

कॉलेज के बाद, उन्होंने फ्यूचर ग्रुप के साथ काम किया, जहां उन्होंने भारत में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए शॉपिंग को एक्सेसिबल बना दिया. कोविड-19 महामारी के दौरान, उन्हें दिव्‍यांग लोगों से सीवी प्राप्त हुए. इस प्रक्रिया ने उन्हें आगे बढ़ने और अपना उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित किया.

विनीत कहते हैं,

“मेरा दृढ़ विश्वास है कि जब तक दिव्‍यांग व्यक्ति पैसा नहीं कमाता, तब तक उनमें आत्मविश्वास नहीं आता. हम परफॉर्मिंग आर्टिस्‍ट, विजुअल आर्टिस्‍ट, और नौकरी चाहने वालों को उपयुक्त नौकरी खोजने में मदद करते हैं.”

तीन वर्षों में एटिपिकल एडवांटेज ने 3,000 लोगों की मदद की है. विनीत कहते हैं, ”हम अगले 10 साल में इस संख्या को दस लाख तक ले जाने का लक्ष्य बना रहे हैं.”

इस 35 वर्षीय व्यक्ति के लिए यह सब काम या खेल नहीं है. वह सर्फिंग करता है, 5 किमी साइकिल चला चुका है, सात हाफ मैराथन दौड़ चुका है और कुछ बार ट्रैकिंग भी कर चुका है. विनीत कहते हैं,

“सीमाएं हमारे दिमाग से झूठ बोलती हैं. मेरा सारा काम सारी सीमाओं को तोड़ने और लोगों को यह बताने के लिए है कि हमारा दिमाग की सीमा आकाश की ऊंचाईयों से भी अधिक हो सकती है.”

इस पहल के बारे में

समर्थ, हुंडई द्वारा एनडीटीवी के साथ साझेदारी में शुरू हुई एक पहल है जिसका मकसद समावेशिता को बढ़ावा देना, नजरिए को बदलना और दिव्‍यांग लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है.

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