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नेत्रहीन होने के बावजूद भी कैसे क्रिकेट खेलते हैं प्‍लेयर्स?

भारत में पुरुषों और महिलाओं को मिलाकर 25,000 से अधिक नेत्रहीन क्रिकेटर हैं. आज हम आपको बताने वाले हैं कि दिव्‍यांग होने के बावजूद भी वे कैसे क्रिकेट खेल पाते हैं

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दृष्टिबाधित क्रिकेटरों को उनकी दृष्टि के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है

नाम: अजय रेड्डी
सम्मान: अर्जुन पुरस्कार
टाइटल: प्लेयर ऑफ द सीरीज
मैच: टी20 ब्लाइंड क्रिकेट सीरीज

जब अजय स्‍कूल में थे, तब एक दुर्घटना में उनकी आंखों की रोशनी चली गई. पर स्कूल खत्म होने से पहले ही उन्‍होंने क्रिकेट को अपना लिया.

इसमें अजय अकेले नहीं हैं.

भारत में पुरुषों और महिलाओं को मिलाकर 25,000 से अधिक नेत्रहीन क्रिकेटर हैं. आइए समझें कि ब्‍लू जर्सी में नेत्रहीन पुरुष और महिलाएं अपनी दिव्‍यांगता के बावजूद भी कैसे क्रिकेट खेल पाते हैं.

खिलाड़ियों का वर्गीकरण

“नियमों के अनुसार, B1 प्लेयर्स को रोशनी से बचने के लिए काला चश्मा पहनना होता है. B1 श्रेणी में 4 प्लेयर्स का होना जरूरी है. B2 श्रेणी में कम से कम 2 प्‍लेयर और B3 श्रेणी में अधिकतम 4 प्‍लेयर खेल सकते हैं.”

भारतीय पुरुष ब्लाइंड क्रिकेट टीम के मैनेजर धीरज सिकेरा बताते हैं कि,

“नियमों के अनुसार, B1 प्‍लेयरर्स को रोशनी से बचने के लिए काला चश्मा पहनना होता है. B1 श्रेणी में 4 प्‍लेयर्स का होना जरूरी है. B2 श्रेणी में कम से कम 2 प्‍लेयर और B3 श्रेणी में अधिकतम 4 प्‍लेयर खेल सकते हैं.”

साथ ही, दिव्‍यांग समर्थनम ट्रस्ट में खेल पहल के लीड सिकेरा ने कहा कि,

“B1 प्‍लेयर द्वारा बनाया गया हर रन दोगुना गिना जाता है. B1 प्‍लेयर्स को खेल में अनिवार्य रूप से 40 प्रतिशत ओवर फेंकने होते हैं.

द ऑडिवल क्रिकेट बॉल

यह एक रेगुलर सफेद प्लास्टिक की बॉल जैसी दिखती है, लेकिन यह अलग है. इस बॉल के अंदर साइकिल बियरिंग हैं. जब बॉल हवा में घूमती है, तो यह आवाज करती है, जिससे नेत्रहीन खिलाड़ियों को ऑडियो संकेत मिलते हैं और उन्हें बॉल का पता लगाने में मदद मिलती है.

बॉलिंग स्‍टाइल

बॉलिंग स्‍टाइल ट्रेडिशनल ओवरआर्म के विपरीत अंडरआर्म होता है. B1 क्रिकेटर संजय कुमार शाह बताते हैं,

“जब बॉल जमीन पर लुढ़कती है, तो बल्लेबाज बेहतर तरीके से सुन सकता है.”

भारतीय पुरुष ब्लाइंड क्रिकेट टीम अपनी दिव्‍यांगता से ऊपर उठने का एक शानदार उदाहरण है. इस साल जनवरी में, अजय रेड्डी को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, वह यह सम्मान जीतने वाले पहले नेत्रहीन क्रिकेटर बन गए हैं. अजय कहते हैं,

“सिर्फ मैं ही नहीं, हम सब समर्थ हैं.”

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