34 वर्ष के भावेश पटेल कमर्शियल कैंपन शूट करने वाले दुनिया के पहले नेत्रहीन फोटोग्राफर हैं
द्वारा: आस्था आहूजा | एडिट: श्रुति कोहली | April 8, 2024 Read In English
नई दिल्ली: स्पर्श करें, सुनें, निर्णय लें – यह चीजें भावेश को अपनी फोटोग्राफी में स्टेप बाय स्टेप गाइड करती हैं.
जन्म से नेत्रहीन, 34 वर्षीय भावेश बताते हैं, कि “जबकि प्रोफेशनल फोटोग्राफी किसी की देखने की क्षमताओं पर आधारित होती है, लेकिन नेत्रहीन फोटोग्राफी स्पर्श इंद्रियों, सुनने की क्षमता और विषय के साथ इमोशनल कनेक्शन पर आधारित होती है.”
जब भावेश को किसी इंसान की फोटो खींचनी होती है तो वह उनके कंधे पर हाथ लगाता है, इससे भावेश को उनकी ऊंचाई नापने में मदद मिलती है. फिर भावेश उस इंसान से थोड़ा दूर जाते हुए बातचीत शुरू कर देते हैं. इससे उन्हें दूरी समझने में मदद मिलती है. इस प्रक्रिया के आधार पर वह एक किसी भी इंसान का फोटो शूट करते हैं.
भावेश बताते हैं कि,
“लैंडस्केप फोटोग्राफी, जहां हम उन वस्तुओं को क्लिक करते हैं जो इंसान की पहुंच से बाहर हैं जैसे कि एक पक्षी या एक बिल्डिंग, इसका विवरण बताने के लिए भावेश को ध्वनि संकेतों या किसी अन्य व्यक्ति की आवश्यकता होती है.”
भावेश अपने आसपास के लोगों से पूछता है कि वस्तु कितनी दूर और ऊंची है. भावेश आमतौर पर अपने iPhone से फॉटो क्लिक करते हैं. जिसमें इन-बिल्ड ऑडियो डिस्क्रिप्शन सिस्टम से भावेश को यह जानने में भी मदद मिलती है कि स्क्रीन पर क्या है.
पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर भावेश पटेल के लिए फोटोग्राफी सिर्फ एक शौक से कहीं ज्यादा है. उन्होंने भारतीय अभिनेत्री कैटरीना कैफ के साथ एक कमर्शियल कैंपेन भी शूट किया है. इस कैंपेन को Google द्वारा ‘बेस्ट इन क्लास’ का दर्जा दिया गया और इसके साथ ही भावेश ने एबीबीवाई गोल्ड पुरस्कार जीता.
भावेश बताते हैं कि,मुंबई स्थित भावेश का विजुअल आर्ट से परिचय उनके चाचा के माध्यम से हुआ, जो अक्सर उनके साथ आर्ट गैलेरी में जाते थे, और उन्हें चित्रों का वर्णन करते थे.
“यहां समझाने का तरीका बहुत ही अच्छा और रियरस्टिक था!”
इसके बाद कॉलेज के अपने पहले वर्ष के दौरान, भावेश को ब्लाइंड विद कैमरा के संस्थापक, प्रोफेसर पार्थो भौमिक द्वारा ब्लाइंड फोटोग्राफी से परिचित कराया गया, जो नेत्रहीन लोगों को फोटोग्राफी का प्रशिक्षण देते हैं. भावेश ने एक महीने के कोर्स के लिए दाखिला लिया, क्योंकि वह कुछ नया सीखना चाहते थे.
भावेश कहते हैं कि,
“मैं बैरियर तोड़ना चाहता हूं और दुनिया को यह बताना चाहता हूं कि जब तक आप कोशिश नहीं करेंगे, आपको पता नहीं चलेगा कि आप कहां पहुंचेंगे.”
समर्थ, हुंडई द्वारा एनडीटीवी के साथ साझेदारी में शुरू हुई एक पहल है जिसका मकसद समावेशिता को बढ़ावा देना, नजरिए को बदलना और दिव्यांग लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है.
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