मिलिए दिल्ली के दिव्यांग बाइकर्स के ग्रुप 'ईगल' से, जिसने विकलांग लोगों को सशक्त बनाने की अपनी खोज में भारत में 50,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की है
एडिट: ऋतु वर्षा | January 3, 2024 Read In English
नई दिल्ली: नई दिल्ली: आमिर सिद्दीकी और उनकी राइडर्स की टीम को ट्रैवलिंग काफी पसंद है और अपने इसी शौक को उन्होंने अपने उद्देश्यपूर्ण अभियान से जोड़ दिया है. ये दिव्यांग राइडर्स दिव्यांग लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का संदेश फैलाने के मिशन पर हैं. ‘ईगल’ ग्रुप दिव्यांगों की सहूलियत के हिसाब से अपने रेट्रोफिटेड स्कूटरों पर पूरे भारत में यात्रा करता है. ग्रुप ने हाल ही में पूर्वोत्तर और वहां से वापसी की करीब 5,500 किलोमीटर की यात्रा पूरी की है. इस उपलब्धि के बाद भी ये आराम के मूड में कतई नहीं हैं. इस लंबे सफर की थकान उतारने के बजाय ग्रुप के सदस्य इससे भी बड़ी चुनौती के लिए तैयार हो रहे हैं. इसमें वह 100 अन्य लोगों के साथ एक्सप्रेसवे पर यात्रा करेंगे. साथ ही क्रिकेट मैच और दिव्यांगों के एक फैशन शो का आयोजन भी उनके इस नए मिशन में शामिल है.
नए कीर्तिमान बनाने वाली यात्राओं के जरिये दिव्यांगों के लिए वह केवल नए सामाजिक मानदंड ही स्थापित नहीं कर रहे, बल्कि शारीरिक विषमताओं से जूझ रहे लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ कर उनके सशक्तीकरण का मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं. कई तरह सामाजिक मुद्दे उन्हें प्रेरित कर रहे हैं. ईगल स्पेशली एबल्ड राइडर्स के संस्थापक आमिर सिद्दीकी कहते हैं,
“व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले 100 फीसदी तक दिव्यांग लोग भी हमारे साथ यात्रा कर दुनिया देखने की अपनी ख्वाहिश पूरी कर सकते हैं.”
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ईगल स्पेशली एबल्ड राइडर्स के सचिव गोविंद कनौजिया के लिए राइडिंग सिर्फ एक टाइम पास नहीं है, बल्कि खुद को बेहतर महसूस करने का एक जरिया भी है. वह कहते हैं,
“राइडिंग एक थेरेपी है. यदि आप परेशान या तनावग्रस्त हैं, तो एक छोटी-सी राइड भी आपको तरोताजा कर कर सकती है और यह आपको आत्मविश्वास से भी देती है.”
अपने अभियान में जमीनी स्तर के दृष्टिकोण (ग्रासरूट अप्रोच) अपनाने के बारे में विस्तार से बताते हुए आमिर सिद्दीकी कहते हैं,
“हम फाइव स्टार होटलों में नहीं रहते, बल्कि स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के साथ मिल कर अपने ठहरने की व्यवस्था करते हैं. हमारा उद्देश्य लोगों को दिव्यांग व्यक्तियों के बारे में जागरूक करना और दिव्यांग व्यक्तियों को प्रोत्साहित करना है. उन्हें प्रोत्साहित करने का एक तरीका दिव्यांग लोगों के लिए काम करने वाली स्थानीय एनजीओ के साथ जुड़कर सेमिनार और सम्मेलनों का आयोजन करना है. हम उन्हें अपनी मिसाल देकर बताते हैं कि अगर हम लगभग 2,000 – 4,000 किलोमीटर की लंबी यात्राएं कर सकते हैं, तो वे अपने घरों से बाहर क्यों नहीं निकल सकते?”
ग्रुप के इन सराहनीय प्रयासों को लोगों की तवज्जो भी मिल रही है. दिव्यांग लोगों को सशक्त बनाने की अपनी यात्रा में देशभर में 50,000km से अधिक का सफर करने के बाद ईगल स्पेशली एबल्ड राइडर्स ने दुनिया की सबसे लंबी एक्सेसबल अवेयरनेस राइड का रिकॉर्ड बनाया है. उन्हें सरकारों, संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों की ओर से सम्मानित व पुरस्कृत किया जा चुका है. उनके अभियान को सराहना मिली है और मीडिया ने भी इसे अच्छी कवरेज दी है.
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जरूरतमंद लोगों की मदद करने की कोशिश में, जैसा कि उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान किया था, कई बार उनके सामने मुश्किलें भी पेश आती हैं. शिक्षा व महिला सशक्तीकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने राइडिंग अभियान में इन्हें आमतौर पर जिस बाधा का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है, वह है – दिव्यांगों के लिए राजमार्गों पर एक्सेस की कमी. ईगल स्पेशली एबल्ड राइडर्स के सदस्य संदीप कहते हैं,
“ऊबड़-खाबड़ सड़कें हमारे जैसे लोगों के लिए राइडिंग बहुत ही कठिन बना देती हैं. हमारे वाहन ऊंची-नीची सड़कों पर बहुत ज्यादा हिचकोले खाते हैं.”
बाइकर समूह की एक अन्य सदस्य राखी पांडे ने राइडिंग के दौरान महिला व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा,
“पुरुषों के लिए सार्वजनिक शौचालय आदि का उपयोग करना आसान है, लेकिन हम व्हीलचेयर वाली महिलाओं को राइडिंग के दौरान इसमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हम किसी के साथ टॉयलेट नहीं जा सकते हैं. इसलिए, हमारी सबसे बड़ी चुनौती हमारे उपयोग लायक सार्वजनिक शौचालय की सुविधाएं ढूंढना है.”
इन चुनौतियों के बावजूद ईगल स्पेशली एबल्ड राइडर्स अपने राइडिंग अभियान पर अडिग हैं. दिव्यांग लोगों को दुनिया के सामने लाने की अपनी इस यात्रा में ईगल स्पेशली एबल्ड राइडर्स कई उपलब्धियां हासिल की हैं, यह ऐसी क्षमता है, जो हम में से प्रत्येक में मौजूद है और इसकी शुरुआत टीम से ही होती है. आमिर सिद्दीकी कहते हैं,
“यह सिर्फ एक समूह नहीं है, यह एक परिवार है. शिक्षा के माध्यम से ही हम अपनी दिव्यांगता को एक बड़ी खूबी में बदल सकते हैं.”
अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर, ईगल राइडर्स समूह संकरे दायरों को तोड़ रहा है और अलग-अलग जगहों पर जाकर जिंदगियों को छूने, उनमें बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है.
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समर्थ, हुंडई द्वारा एनडीटीवी के साथ साझेदारी में शुरू हुई एक पहल है जिसका मकसद समावेशिता को बढ़ावा देना, नजरिए को बदलना और दिव्यांग लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है.
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