मिलिए 81 वर्षीय शंकर बाबा पापलकर से, जिन्हें सामाजिक कार्य के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. उन्होंने अपना जीवन दिव्यांग और अनाथ बच्चों के कल्याण और पुनर्वास के लिए समर्पित कर दिया है
ANI | January 29, 2024
अमरावती: अमरावती के अस्सी वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता शंकर बाबा पापलकर को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. 81 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने अपना जीवन दिव्यांग, अनाथ और निराश्रित बच्चों के कल्याण और पुनर्वास के लिए समर्पित कर दिया है. वह अमरावती जिले के वजार में निराश्रित बच्चों को समर्पित एक ‘आश्रम’ चलाते हैं. वर्तमान में उनके आश्रम में 123 अनाथ और मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चे रह रहे हैं.
एएनआई से बात करते हुए शंकर बाबा ने कहा,
“मैं यह पुरस्कार दिव्यांग बच्चों को समर्पित करता हूं. जब मुझे यह पुरस्कार मिलेगा, तो मैं कुछ बच्चों को अपने साथ ले जाने का भी प्रयास करूंगा. यह पुरस्कार मेरे देश का गौरव है.”
इसे भी पढ़ें: राष्ट्रीय खेल पुरस्कार: पैरा एथलीट शीतल देवी और प्राची यादव को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया
शंकर बाबा पिछले कई वर्षों से 18 वर्ष से अधिक उम्र के मानसिक रूप से विक्षिप्त और अनाथ बच्चों के पुनर्वास के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह पीएम मोदी से मिलने की कोशिश करेंगे और उनसे इस कानून को बनाने के लिए अनुरोध करेंगे.
गृह मंत्रालय ने गुरुवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की, जिसमें पांच पद्म भूषण, 17 पद्म भूषण और 110 पद्म श्री शामिल हैं. देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों – पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किये जाते हैं.
पुरस्कार विभिन्न विषयों और गतिविधियों के क्षेत्रों में दिए जाते हैं जैसे – कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल और सिविल सेवा.
असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्म विभूषण’, उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्म भूषण’ और किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्म श्री’ प्रदान किया जाता है. पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है.
पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक समारोहों में प्रदान किए जाते हैं जो आमतौर पर हर साल मार्च या अप्रैल के आसपास राष्ट्रपति भवन में आयोजित होते हैं.
इसे भी पढ़ें: पद्मश्री से सम्मानित सत्येन्द्र सिंह लोहिया की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर एक नजर
(यह कहानी एनडीटीवी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं की गई है और एक सिंडिकेटेड फ़ीड से प्रकाशित हुई है।)
समर्थ, हुंडई द्वारा एनडीटीवी के साथ साझेदारी में शुरू हुई एक पहल है जिसका मकसद समावेशिता को बढ़ावा देना, नजरिए को बदलना और दिव्यांग लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है.
This website follows the DNPA Code of Ethics
© Copyright NDTV Convergence Limited 2024. All rights reserved.