प्रेरक कहानियां

मिलिए 16 वर्षीय शीतल देवी से, जो हैं दुनिया की पहली दोनों हाथों से दिव्‍यांग महिला तीरंदाज

बचपन में पेड़ों पर चढ़कर मांसपेशियों को मजबूत करने से लेकर एशियाई पैरा गेम्स 2023 में स्वर्ण पदक जीतने तक का प्रेरणादायक सफर

द्वारा: अनिशा भाटिया | एडिट: सोनिया भास्कर | November 10, 2023 Read In English

नई दिल्ली: दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के लोइधर गांव की 16 वर्षीय शीतल देवी ने हाल ही में चीन के हांगझू में आयोजित एशियाई पैरा खेलों में तीन पदक जीतकर दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं, जिनमें दो स्वर्ण और एक रजत पदक शामिल हैं, यहां ध्‍यान देने वाली बात ये है कि जन्‍म से ही शीतल के दोनों हाथ नहीं हैं. शीतल देवी, जो फोकोमेलिया नाम की एक ऐसी बीमारी के साथ जन्‍मी, जिसके कारण अंग विकसित नहीं हो पाते, उन्होंने कभी भी अपने जीवन में इतनी बड़ी उपलब्धि की कल्पना नहीं की थी. वह कहती हैं,

“जीवन चुनौतियों से भरा था, मैंने इतना बड़ा काम करने की कल्पना नहीं की थी, अपनी पहाड़ी मातृभूमि से लेकर अंतरराष्ट्रीय खेलों तक यह एक शानदार यात्रा रही है.”

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पेड़ों पर चढ़ने से लेकर स्वर्ण पदक जीतने तक शीतल की यात्रा

शीतल देवी की प्रेरक कहानी अदम्य मानवीय शक्ति की एक जीती-जागती मिसाल है. बचपन में पेड़ों पर चढ़ना उनका पसंदीदा टाइमपास काम था. हालांकि उस समय नहीं पता था कि पेड़ों पर चढ़कर उसने जो मांसपेशियां विकसित की हैं, वे एक दिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने में मदद करेंगी. एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा,

“बचपन में बस पेड़ों की ऊंचाई छूना चाहती थी, यही चीज मुझे हमेशा खुशी देती थी.”

2019 में उन्हें किश्तवाड़ में एक युवा खेल कार्यक्रम में भारतीय सेना द्वारा देखा गया था. इसके बाद सेना ने उन्‍हें शैक्षिक सहायता और चिकित्सा सहायता देनी शुरू कर दी. सेना ने शीतल को बेंगलुरु से कृत्रिम हाथ दिलाने में भी मदद की, लेकिन यह काम नहीं आया क्योंकि फिटिंग उनके लिए सही नहीं थी. इस दौरान उनका परिचय कई खिलाड़ियों से हुआ, जिन्होंने उन्हें पैरा स्पोर्ट्स को अपनाने के लिए प्रेरित किया.

कई तरह की जांचों और परीक्षणों के बाद शीतल को पैरा-तीरंदाजी लेने की सलाह दी गई और उन्हें कोच कुलदीप बैदवान और अभिलाषा चौधरी से मिलवाया गया. उसके बाद 2022 से श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के समर्थन से शीतल देवी ने पैरा खेलों के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करना शुरू कर दिया. उन्होंने कठोर प्रशिक्षण में अपने तीरंदाजी के कौशल को खूब निखारा.

मिलिए 16 वर्षीय शीतल देवी से, जो हैं दुनिया की पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज

कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान ने कभी किसी तीरंदाज को बिना हथियार के प्रशिक्षित नहीं किया था. शीतल देवी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा,

“2012 में लंदन पैरालिंपिक के रजत पदक विजेता मैट स्टुट्जमैन ने शूटिंग के लिए अपने पैरों का इस्तेमाल किया. हमने वहां से प्रेरणा ली और शीतल देवी को उसी तरह प्रशिक्षित करने का फैसला किया. हमने एक स्थानीय रूप से निर्मित रिलीजर को एक कंधे में लगने वाले रिलीजर का रूप देकर उसे तीर छोड़ने में मदद करने लायक बनाया. ठोड़ी और मुंह के जरिये ट्रिगर का काम लेने के लिए एक स्ट्रिंग तंत्र को इसके साथ अलाइन किया. हमने मार्क स्टुट्जमैन को जिन चीजों का इस्‍तेमाल करते हुए देखा, उसके आधार पर हमने सुधार कर शीतल के लिए तीरंदाजी का उपकरण तैयार किया.”

प्रशिक्षण के बारे में बात करते हुए ट्रेनर्स ने कहा,

“शीतल ने प्रतिदिन 50-100 तीर चलाकर शुरुआत की. जैसे-जैसे उसकी क्षमता में सुधार हुआ, गिनती 300 तक पहुंच गई. बहुत ही कम समय में वह एक बेहतरीन पैरा-तीरंदाज बन गई और सुर्खियां बटोरने लगी. उसने सोनीपत में पैरा ओपन नेशनल्स में भारत को रजत पदक दिलाया. 2023 के शुरुआती महीनों में चेक गणराज्य में हुई पैरा-तीरंदाजी विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक हासिल किए और दुनिया की पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया. अब वह एशियन पैरा गेम्स में तीन मेडल जीत चुकी है. हालांकि, यह तो एक शुरुआत भर है.”

शीतल देवी ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह यह मुकाम हासिल कर पाएंगी. तीरंदाज ने कहा कि उनके कोच ने उन्हें लगातार प्रेरित किया.

मिलिए 16 वर्षीय शीतल देवी से, जो हैं दुनिया की पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज

हाल ही में एशियन पैरा गेम्स में अपनी जीत के बाद प्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा,

“तीन पदक जीत कर मुझे बहुत खुशी हुई. जब मैंने तीरंदाजी शुरू की तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यह कर सकूंगी. आज मैंने अपने देश को 3 पदक दिलाये और मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शीतल देवी से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर उन्हें जीवन में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए बधाई दी. उन्होंने शीतल को बधाई देने के लिए एक ट्वीट भी साझा किया और कहा, “एशियाई पैरा खेलों में तीरंदाजी महिला व्यक्तिगत कंपाउंड ओपन इवेंट में असाधारण स्वर्ण पदक जीतने पर शीतल देवी पर गर्व महसूस हो रहा है. यह उपलब्धि उनके धैर्य और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है.”

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी एक ट्वीट साझा किया, जिसमें पीएम मोदी शीतल के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते नजर आ रहे हैं. उन्होंने पोस्ट को कैप्शन दिया, “विश्वास से भरा आशीर्वाद.”

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शीतल देवी ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी मुलाकात की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे इसने उन्हें भविष्य में बेहतर करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने प्रेस को बताया,

“हम अगले साल पेरिस में होने वाले पैरालंपिक खेलों के लिए पूरी तैयारी करेंगे, ताकि हम अपने देश के लिए पदक हासिल कर सकें. मैं प्रधानमंत्री से मिली. उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया. उन्होंने मुझे आने वाले दिनों में बेहतर खेल जारी रखने के लिए प्रेरित किया.”

शीतल देवी ने सभी महिलाओं के लिए एक विशेष संदेश दिया, उन्होंने कहा,

“मेरा संदेश है कि उन्हें समर्पण के साथ कड़ी मेहनत करनी चाहिए. मेरे कोच ने मुझे जीवन में एक विशेष चीज पर फोकस करने और परिणाम के बारे में चिंता न करने का सबक दिया. मैंने वैसा ही किया. मैंने अपनी सारी ऊर्जा उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में लगा दी, जो मुझे पसंद हैं और मेरे खेल के दौरान इस विचार ने मेरी मदद की और आखिरकार मैंने स्वर्ण पदक जीत लिया.”

इस पहल के बारे में

समर्थ, हुंडई द्वारा एनडीटीवी के साथ साझेदारी में शुरू हुई एक पहल है जिसका मकसद समावेशिता को बढ़ावा देना, नजरिए को बदलना और दिव्‍यांग लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है.

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