प्रेरक कहानियां

व्हीलचेयर भी नहीं तोड़ पाई कश्मीर की इस महिला की हिम्‍मत

शारीरिक तौर पर कई चुनौतियों के बावजूद, सुमार्ती (Sumarty) के तैयार मसाले उसके शहर के रसोईघरों में कश्मीर के खाने की खुशबू और स्वाद ला रहे हैं. उनकी ये यात्रा किसी प्रेरणा से कम नहीं है

द्वारा: आस्था आहूजा | एडिट: श्रुति कोहली | April 16, 2024 Read In English

नई दिल्ली: श्रीनगर में दोपहर के तीन बज रहे हैं. हल्की बारिश से तापमान 13 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. एक बड़े से कमरे में एक आदमी सूखी लाल मिर्च पीस रहा है. दूसरे कोने में कुछ महिलाएं रिटेल स्‍टोर्स में भेजे जाने के लिए कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर के पैकेट तैयार कर रही हैं. कमरे के बीच में व्हीलचेयर पर 35 साल की सुमार्ती (Sumarty) बैठी हैं, जो वहां मौजूद लोगों के काम पर नजर रख रही हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें प्यार से निर्देश दे रही हैं. सदफ मसाले की शुरुआत करने वाली सुमार्ती (Sumarty) बड़ी लगन और मेहनत से अपने इस काम को आगे बढ़ा रही हैं.

सुमार्ती (Sumarty) जब किशोर थीं, तब उन्हें पोलियो हो गया था. जिसकी वजह से वो बिस्तर पर आ गई. डॉक्टरों ने कहा, ”वो अब दोबारा कभी चल नहीं सकेगी.” पोलियो की वजह से सुमार्ती की जिंदगी अचानक पूरी तरह बिखर गई थी. वह सदमे की स्थिति में पहुंच गई. उसने स्कूल जाना बंद कर दिया और खुद को लोगों से दूर कर लिया.

“मुझे लगता था कि लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे.”

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सुमार्ती (Sumarty) का परिवार उन्हें इलाज के लिए मुंबई ले गया. उनकी कई सर्जरी भी हुईं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उन्हें चलने में मदद के लिए खासतौर से डिजाइन किए गए जूते दिए गए, लेकिन उन जूतों के वजन ने मदद करने की जगह समस्याएं ज्यादा पैदा कीं. जिसकी वजह से वो इन जूतों का इस्तेमाल नहीं कर पाईं. लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने जहां उन्हें अपनी दिव्‍यांगता से ऊपर उठने में मदद की, वहीं दिव्यांगों को लेकर लोगों की रूढ़िवादी सोच को भी तोड़ा.

उनका पहला वेंचर (venture) एक बुटीक था, जिसे उन्होंने आठ साल तक चलाया.

सुमार्ती (Sumarty) सिर्फ अपना बिजनेस ही नहीं चला रही हैं, वो एक पुरस्कार विजेता जिला स्तरीय बास्केटबॉल खिलाड़ी भी हैं.

सुमार्ती (Sumarty) अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिता को देती हैं. वह कहती है,

“मेरे आसपास मौजूद हर व्यक्ति मेरी क्षमताओं पर सवाल उठाता था. वो लोग कहते थे, आज जब हमारे पढ़े-लिखे बच्चे बेरोजगार घूम रहे हैं, तो ये क्या कर पाएगी? लेकिन मेरे पिता ने मुझे ऐसी बातों पर ध्यान न देने और अपनी क्षमताओं को पहचानने की ताकत दी.”

सुमार्ती अपने सदफ मसाले जम्मू के जाने-माने रिटेल स्टोर्स को सप्लाई कर रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में राज्य के हर जिले में उनकी एक यूनिट होगी.

वह कहती है,

“मैंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन उनसे कभी हार नहीं मानी. मैं आज जहां भी हूं, उन चुनौतियों की वजह से ही हूं.”

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इस पहल के बारे में

समर्थ, हुंडई द्वारा एनडीटीवी के साथ साझेदारी में शुरू हुई एक पहल है जिसका मकसद समावेशिता को बढ़ावा देना, नजरिए को बदलना और दिव्‍यांग लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है.

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