पंकज सिंह भगवाने (Pankaj Singh Bhagwane) जो दोनों पैरों में 58% दिव्यांगता से जूझ रहे हैं, अब वह अपनी बाइक पर शहर की सड़कों पर घूमते हैं
द्वारा: ऋतु वर्षा | एडिट: श्रुति कोहली | August 7, 2024
नई दिल्ली: पंकज सिंह भगवाने कहते हैं, “लोग मुझे बाइक चलाते हुए देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं. उन्हें हैरानी होती है कि मैं अपनी डिसेबिलिटी के बावजूद यह कैसे कर पा रहा हूं.” नौ महीने की उम्र में बुखार के गलत इंजेक्शन की वजह से उन्हें पोलियो हो गया था. इसका काफी इलाज कराए जाने के बावजूद भी यह ठीक नहीं हो सका.
बाइक चलाने के उनके पैशन ने उन्हें EMI पर बाइक लेने के लिए प्रेरित किया. फिर उन्होंने इसे चलाने के लिए साइड व्हील्स, हैंड ब्रेक और एक वाइडर गियर शिफ्टर लगवाया. वह कहते हैं,
”मुझे लोगों को उनकी डेस्टिनेशन तक पहुंचाना अच्छा लगता है.”
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एक लड़का जो दोनों पैरों में 58% दिव्यांगता से जूझ रहा है, अब वह अपनी बाइक पर शहर की सड़कों पर घूमता है.
पंकज ने अपना एक यूट्यूब चैनल ‘लाइफबाजी’ शुरू किया, जहां वह अपने रुटीन के हिसाब से व्लॉग (vlogs) पोस्ट करते हैं.
पंकज ने अपनी पहली नौकरी एक डिलीवरी एजेंट के तौर पर शुरू की थी.
वह याद करते हुए कहते हैं,
“उन्होंने शुरू में मुझे नौकरी देने से मना कर दिया, लेकिन मैंने उन्हें किसी तरह सात दिन के ट्रायल के लिए मना लिया. वो लोग रूट्स और समय पर डिलीवरी के बारे में मेरी नॉलेज से काफी प्रभावित हुए.”
सैलरी न मिलने की वजह से नौकरी छोड़ने के बाद, उन्होंने अपने दोस्त के लाइसेंस का इस्तेमाल करके बाइक टैक्सी राइडर के तौर पर अप्लाई किया. “मुझे यकीन नहीं था कि लोग मुझे एक राइडर के तौर पर स्वीकार करेंगे, इसलिए मैंने एक महीने तक प्रैक्टिस की. लेकिन मुझे कस्टमर्स का काफी पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला.”
अब अपने खुद के लाइसेंस के साथ नियमित तौर पर बाइक चलाते हुए, पंकज को खराब सड़कों और जलजमाव जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उसकी पीठ और कमर में दर्द हो जाता है. इसके बावजूद, वह एक दिन में करीब 10-15 राइड पूरी कर लेते हैं जिससे उन्हें लगभग 600-700 रुपये और किसी अच्छे दिन में 1000 रुपये तक की कमाई हो जाती है.
“हाल ही में एक पैसेंजर ने मुझसे कहा कि उसने कई सक्षम लोगों को देखा है जो इतनी मेहनत नहीं करते हैं. इस तरह की बातें मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं.”
पंकज कहते हैं,
“मेरे एक दूसरे पैसेंजर ने मुझे धन्यवाद दिया और कहा, ‘भैया, आपने मुझे दूसरे राइडर की तुलना में डेस्टिनेशन तक कम समय में पहुंचा दिया’ यह सुनकर मेरा दिन बन गया.”
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