21 साल की उम्र में, परविंदर को पता चला कि उसकी बीमारी बढ़कर रूमेटॉइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) में बदल गई है
प्रेरक कहानियां

ऊंचे हौसले और व्हीलचेयर के साथ दुनिया भर की सैर

परविंदर को रूमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) है. यह एक पुरानी (लंबे समय तक चलने वाली) ऑटोइम्यून बीमारी है जो ज्यादातर शरीर के जोड़ों को प्रभावित करती है

द्वारा: देवयानी मदैइक | एडिट: श्रुति कोहली | June 10, 2024 Read In English

नई दिल्ली: वो कहती हैं, “मैं अगली बार स्पेन जाने का प्लान बना रही हूं. इस देश को यहां के ज़ायकेदार खाने के लिए काफी रिकमंड किया जाता है.” यह 60वां देश होगा, जहां परविंदर घूमने जाएंगी. परविंदर चावला व्हीलचेयर पर हैं और वो सोलो ट्रेवल (solo travel) करती हैं. व्हीलचेयर के पहिये उनके लिए महज एक जरूरत नहीं हैं बल्कि उनकी आजादी की निशानी भी हैं.

वह बचपन में क्रिकेट और हॉकी खेला करती थीं. लेकिन उनके लिए चीजें तब बदल गईं, जब उन्हें जबड़े, घुटनों और कोहनियों में दर्द महसूस होने लगा. तब उनकी उम्र सिर्फ 15 साल की थी. वह कहती हैं,

“एक दिन, मेरी मां, बड़े प्यार से, मुझे खाना खिला रही थी. वह मुझसे बार-बार कह रही थीं मैं खाना खाने के लिए थोड़ा और बड़ा मुंह खोलूं, लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी मैं अपना मुंह ज्यादा बड़ा नहीं खोल सकी. तब हम दोनों को इस बात का एहसास हो गया कि कुछ गड़बड़ तो जरूर है. जांच कराने पर पता चला कि मुझे अर्थराइटिस (Arthritis) है.”

हालांकि, कॉलेज के पहले साल तक आते-आते, परविंदर के घुटनों और कोहनियों में भी दर्द और सूजन रहने लगी. दर्द दिन प्रतिदिन हालत खराब होने लगी. लेकिन इन सब रुकावटों के बावजूद, वो अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने में कामयाब रहीं.

21 साल की उम्र में, उनकी बीमारी बढ़कर रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) में तब्दील हो गई. इस वजह से वो बिस्तर पर आ गईं थीं. उस समय को याद कर वो कहती हैं,

”मैंने हर तरह की कोशिश की, लेकिन मेरे घुटने, कोहनी और उंगलियां विकृत नजर आने लगे थे.”

लेकिन यह बीमारी भी उनका साहस तोड़ नहीं पाई, वो इस बीमारी की वजह से ज्यादा समय तक एक कमरे तक सीमित नहीं रही. परविंदर ने अपने शहर की आस-पास की जगहों पर जाने के लिए खुद को प्रेरित करना शुरू कर दिया. उस समय वो मैनुअल व्हीलचेयर का इस्तेमाल किया करती थीं.

पहली बार दूर का ट्रैवल करने का मौका उनके जीवन में तब आया, जब वह अपनी चचेरी बहन भूमिका के साथ दुबई गईं. भूमिका, जो अपने पूरे नाम भूमिका चावला से मशहूर हैं. भूमिका एक जानी-मानी बॉलीवुड एक्सट्रेस हैं. उन्होंने अपनी बहन परविंदर को एक ऑटोमेटेड व्हीलचेयर गिफ्ट में दी.

फिर धीरे-धीरे परविंदर अपनी कजिन भूमिका चावला के साथ शूट और ट्रेवल पर जाने लगीं. इसने उनके अंदर एक विश्वास जगाया और उन्हें यकीन हो गया कि वो अब दूसरी जगहों पर घूमने के लिए अकेले ही जा सकती हैं.

परविंदर का पूरी दुनिया देखने का सपना था और उन्होंने अपने इस सपने को हकीकत में बदलने का मन बना लिया था! पहली बार वो अकेले थाईलैंड घूमने गई थी.

परविंदर अपनी व्हीलचेयर के साथ अब तक 59 देशों की सैर कर चुकी हैं.

लेकिन पिछले साल ब्रेन स्ट्रोक (Brain stroke) के बाद उन्हें ब्रेक लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था. हालांकि, कोई भी रुकावट ज्यादा देर तक उन्हें रोक नहीं सकती. वह आगे कहती हैं,

“दुनिया में लगभग 216 देश हैं. मैंने तो अब तक केवल एक-चौथाई को ही कवर किया है. मैं सभी देश घूमना चाहती हूं.”

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इस पहल के बारे में

समर्थ, हुंडई द्वारा एनडीटीवी के साथ साझेदारी में शुरू हुई एक पहल है जिसका मकसद समावेशिता को बढ़ावा देना, नजरिए को बदलना और दिव्‍यांग लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है.

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