ताज़ातरीन ख़बरें

हांगझोऊ पैरा एशियाई खेलों में भारतीय एथलीटों ने रचा इतिहास, जीते 111 पदक

भारत ने हांगझोऊ पैरा एशियाई खेलों में 313 एथलीट भेजे थे, जिन्होंने 22 खेलों में से 17 में हिस्सा लिया और 29 स्वर्ण, 31 रजत और 51 कांस्य पदक जीते

द्वारा: अनिशा भाटिया | एडिट: सोनिया भास्कर | November 10, 2023 Read In English

नई दिल्ली: इस साल अक्टूबर महीने में हुए हांगझोऊ पैरा एशियाई खेलों में भारत के पैरा-एथलीटों ने 100 से ज्यादा पदक जीतकर इतिहास रच दिया. उन्होंने इस बार कुल 111 पदक जीते, जो उनका इन खेलों में अब तक का सबसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. भारत ने इसमें 29 स्वर्ण, 31 रजत और 51 कांस्य पदक जीते.

पदक तालिका में पहले स्थान पर चीन (521 पदक: 214 स्वर्ण, 167 रजत, 140 कांस्य), दूसरे पर ईरान (44 स्वर्ण, 46 रजत, 41 कांस्य), तीसरे पर जापान (42, 49, 59) और चौथे पर कोरिया (30, 33, 40) के बाद भारत पांचवें स्थान पर रहा, जो एक बड़ी उपलब्धि है. 2010 में चीन के ग्वांगझू में आयोजित पहले पैरा एशियाई खेलों में भारत एक स्वर्ण सहित 14 पदकों के साथ 15वें स्थान पर रहा था. 2014 और 2018 के पैरा एशियाई खेलों में भारत क्रमशः 15वें और नौवें स्थान पर रहा था. इससे पहले भारत का किसी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन (ओलंपिक, एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेल) में 100 पदक का आंकड़ा पार करने का एकमात्र उदाहरण 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल थे जिसमें भारत ने 101 पदक जीते थे.

इसे भी पढ़ें: मिलिए 16 वर्षीय शीतल देवी से, जो हैं दुनिया की पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज

भारत ने 22 से 28 अक्टूबर तक हांगझोऊ में आयोजित एशियाई पैरा खेलों के चौथे एडिशन में अपने 303 एथलीटों – 191 पुरुषों और 112 महिलाओं – को भेजा था, जिससे यह महाद्वीपीय आयोजन में देश का सबसे बड़ा दल बन गया. इस साल 111 पदकों में से महिला एथलीटों ने 40 पदकों का योगदान दिया है, जो कुल पदक तालिका का 36% है. देश ने 22 खेलों में से 17 में हिस्सा लिया और रोइंग, कैनोइंग, लॉन बाउल, ताइक्वांडो और ब्लाइंड फुटबॉल में पहली बार एथलीटों को मैदान में उतारा.

कुल मिलाकर, इस बार एशियन पैरा गेम्स में 22 खेलों में दिए जाने वाले 566 स्वर्ण-पदक को हासिल करने के लिए 43 देशों के करीब 4000 पैरा एथलीट प्रतिस्पर्धा कर रहे थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पदक विजेताओं को बधाई दी और कहा कि ये जीत सभी के लिए प्रेरणा होगी। एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा, “एशियाई पैरा गेम्स में 100 पदक! बेहद खुशी का क्षण. यह सफलता हमारे एथलीटों की प्रतिभा, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम है. यह उपलब्धि दिलों को गर्व से भर देती है. मैं अपने एथलीटों, कोचों और उनके साथ काम करने वाली संपूर्ण सहायता प्रणाली के प्रति अपनी प्रशंसा और आभार व्यक्त करता हूं. ये जीत हम सभी को प्रेरित करती है. ये इस बात का उदाहरण है कि हमारे युवाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है.

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया की अध्यक्षा दीपा मलिक ने कहा,

“हमने इतिहास रचा है, हमारे पैरा-एथलीटों ने देश को गौरवान्वित किया है. हम पेरिस पैरालंपिक में टोक्यो से भी ज्यादा पदक जीतेंगे.’ हालांकि, पदकों का यह आंकड़ा हमारे लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है. हमें 110 से 115 पदकों के बीच मिलने की उम्मीद पहले से थी, और हमें 111 मिले, जो एक शुभ संख्या (एंजेल नंबर) है.”

इसे भी पढ़ें: एशियाई पैरा गेम्स: पीएम मोदी ने भारत को ऐतिहासिक प्रदर्शन और 100 से ज्यादा मेडल लाने के लिए दी बधाई

पैरा एशियाई खेलों के विजेता

भारतीय शटलर चार स्वर्ण सहित 21 पदक जीतकर दूसरे स्थान पर रहे. शतरंज और तीरंदाजी में भारत ने क्रमशः आठ और सात पदक जीते जबकि निशानेबाजी में छह पदक जीते.

भारत ने पुरुषों की इंडिविजुअल रैपिड VI-B1 स्पर्धा में तीनों पदक जीते, जिसमें सतीश इनानी दर्पण ने स्वर्ण पदक जीता, जबकि प्रधान कुमार सौंदर्या और अश्विनभाई कंचनभाई मकवाना ने क्रमशः रजत और कांस्य पदक जीता. इन तीनों ने टीम को स्वर्ण भी दिलाया.

भारत ने रोइंग में एकमात्र पदक भी जीता, जिसमें अनीता और कोंगनापल्ले नारायण ने PR3 मिक्स्ड डबल स्कल्स में रजत पदक जीता.

हांगझोऊ एशियाई पैरा खेलों ने दुनिया को कई प्रेरक कहानियां भी दीं. इनमें टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले भारत के पहले पैरा तैराक सुयश नारायण जाधव और हिला तीरंदाज शीतल देवी का नाम शामिल है.

सुयश ने अपने भाई की शादी में बिजली का झटका लगने के कारण अपने दोनों हाथ खो दिए थे, वहीं जम्मू-कश्मीर की 16 साल की दुनिया की पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज शीतल देवी फोकोमेलिया डिसऑर्डर नाम के विकार की शिकार थीं. यह एक दुर्लभ जन्मजात विकार जिसके कारण अंग अविकसित रह जाते हैं. शीतल देवी ने इस साल के खेल में भारत के लिए 100वां पदक जीता. इसके अलावा 400 मीटर धावक दिलीप महादु गावित, जिनका दाहिना हाथ कोहनी के नीचे से कट गया था, उन्होंने स्वर्ण पदक जीता, वहीं कैनोइस्ट प्राची यादव, जो कमर से नीचे लकवाग्रस्त (पैरालाइज्ड) हैं, ने स्वर्ण पदक जीता.

देश के पैरा-एथलीटों द्वारा हांगझोऊ में अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से न केवल पैरा खेलों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि दिव्‍यांगों की तरफ समाज के देखने का नजरिया भी बदलेगा.

इसे भी पढ़ें: विकलांगों के अधिकार के लिए लड़ रही अधिवक्ता टिफनी बरार दृष्टिबाधित लोगों को सशक्त बनाने के मिशन पर

इस पहल के बारे में

समर्थ, हुंडई द्वारा एनडीटीवी के साथ साझेदारी में शुरू हुई एक पहल है जिसका मकसद समावेशिता को बढ़ावा देना, नजरिए को बदलना और दिव्‍यांग लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है.

This website follows the DNPA Code of Ethics

© Copyright NDTV Convergence Limited 2024. All rights reserved.