गीता के नाम 13 खिताब हैं, जिनमें राष्ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय रिकॉर्ड भी शामिल हैं.
प्रेरक कहानियां

साइकिल से करीब 1.25 लाख km की दूरी तय कर चुकी हैं गीता राव

गीता एस राव एक पैरा-साइक्लिस्ट हैं. 46 साल की गीता अब तक पूरे भारत में साइकिल चला चुकी हैं

द्वारा: देवयानी मदैइक | एडिट: श्रुति कोहली | July 16, 2024 Read In English

नई दिल्ली: उन्होंने कुछ साल पहले साइकिल चलाना शुरू किया था. इसकी शुरुआत तब हुई, जब उन्होंने अपने होमटाउन में साइक्लिस्ट के एक ग्रुप को देखा. उस पल उन्हें अपने बचपन का सपना याद आ गया. दो दिन बाद उन्होंने साइकिल चलाने में महारत हासिल कर ली.

इस साल उन्होंने पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है और वो भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी.

गीता एस राव एक पैरा-साइक्लिस्ट (para-cyclist) हैं. 46 साल की गीता अब तक पूरे भारत में साइकिल चला चुकी हैं. लेकिन व्हीलचेयर से लेकर पैरा-साइक्लिस्ट बनने तक का उनका सफर आसान नहीं था.

जब वह सिर्फ 3 साल की थी तो तेज बुखार के इलाज के लिए एक डॉक्टर ने गलती से उन्‍हें गलत इंजेक्शन दे दिया, जिसके बाद पता चला कि उन्हें पोलियो हो गया है. गीता उस घटना को याद करते हुए कहती हैं, “कल्पना कीजिए एक दिन आप जागते हैं और आपको पता चलता है कि अब आप चल नहीं सकते.”

अपनी शारीरिक स्थिति (physical condition) की वजह से वह अक्सर चलते समय गिर जाती थीं. उनके साथ कभी-कभी ऐसा सड़क पार करते समय भी हो जाता था. लेकिन जब उन्होंने साइकिल चलाना शुरू किया, तो फिर उन्‍होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. गीता ने काफी प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी और साइकिल चलाने की अपनी दूरी लगातार बढ़ाती गईं. उन्होंने कहा,

“मैं एक आजाद पक्षी की तरह महसूस करती हूं.”

एक महीने के भीतर उन्होंने 115 किलोमीटर की दूरी पूरी की. अब तक वह करीब सवा लाख किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी हैं.

गीता के नाम 13 खिताब हैं, जिनमें राष्ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय रिकॉर्ड भी शामिल हैं.

गीता ने बचपन से व्हीलचेयर, बैसाखी और दिव्‍यांग जूतों (handicap boots) का इस्तेमाल किया था. अपने पैरों पर वापस खड़े होने के इस सफर में उन्हें लगभग 10-15 साल लग गए. वह कहती है,

“मैं 100 बार गिर सकती हूं, लेकिन अपना लक्ष्य पूरा होने तक मैं हर बार उठकर अपनी कोशिश जारी रखूंगी. कमिटमेंट के बिना, हम कभी भी शुरुआत नहीं कर सकते; और निरंतरता (consistency) के बिना, हम कभी भी अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते.”

इस पहल के बारे में

समर्थ, हुंडई द्वारा एनडीटीवी के साथ साझेदारी में शुरू हुई एक पहल है जिसका मकसद समावेशिता को बढ़ावा देना, नजरिए को बदलना और दिव्‍यांग लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारना है.

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