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पैरा एथलीट शीतल देवी और प्राची यादव को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा

पैरा-आर्चर शीतल देवी और पैरा-कैनो प्लैटर प्राची यादव भारत के दो पैरा एथलीट हैं, जिन्हें 2023 खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा

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नई दिल्ली: भारत के दो पैरा एथलीट शीतल देवी और प्राची यादव को बधाई, जिन्हें खेलों में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अर्जुन अवार्ड्स 2023 के लिए चुना गया है. दोनों एथलीटों को 9 जनवरी, 2024 को भारत की राष्ट्रपति से यह पुरस्कार प्राप्त होगा. 20 दिसंबर को युवा मामलों और खेल मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल स्पोर्ट्स अवार्ड्स 2023 सूची के तहत उनके नामों की पुष्टि की गई थी. शीतल (पैरा-आर्चर) और प्राची (पैरा-कैनो प्लेयर) दोनों उन छह एथलीटों में से एक हैं जो हुंडई द्वारा समर्थित पहल समर्थ में चुनी गई हैं.

जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ के लोईधार गांव में जन्मी 16 वर्षीय शीतल देवी के हाथ नहीं हैं. शीतल चीन के हांगझाऊ में हुए एशियाई पैरा गेम्स में तीन मेडल – दो स्वर्ण और एक रजत जीतकर दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रही हैं. वह बिना हाथों के तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप में मेडल जीतने वाली दुनिया की पहली महिला आर्चर भी हैं.

शीतल फोकोमेलिया के साथ जन्मी थीं, यह एक दुर्लभ जन्मजात विकृति है जिसमें अंग या तो बहुत अविकसित या फिर नहीं होते हैं. इस विकलांगता के बावजूद शीतल की उपलब्धियां न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि उसके दृढ़ संकल्प और प्रबल भावना का प्रमाण भी है.

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शीतल ने अपनी उपलब्धियों का श्रेय अपने माता -पिता, प्रशिक्षकों और कोच प्रीति को दिया, जिन्होंने उसका खेल की दुनिया से परिचय कराया था. एनडीटीवी के साथ साझेदारी में हुंडई की पहल समर्थ के लिए चुनी गई, शीतल ने एनडीटीवी से बातचीत में अपने बारे में लोगों की गलत धारणाओं का जिक्र करते हुए कहा कि , लोगों को भरोसा नहीं था कि वह किसी खेल में हिस्सा ले सकती हैं और वह खुद भी ऐसा ही सोचती थीं लेकिन उनकी कोच प्रीति ने उसके भले के लिए पासा पलट दिया. उन्होंने कहा,

“मैं बचपन से ही हर चीज के लिए अपने पैरों का उपयोग कर रही हूं – लिखना, पढ़ाई करना, खेलना, पेड़ों पर चढ़ना और अब मैं अपने पैरों के साथ तीरंदाजी भी कर रही हूं.”

दूसरी ओर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर से 28 वर्षीय प्राची यादव एशियाई पैरा खेल 2023 में पैरा डोंगी गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय हैं. उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पैरा खेल आयोजनों में छह स्वर्ण और चार रजत पदक भी प्राप्त किए हैं. कयाकिंग और कैनोइंग में
काम्पिटिशन करने से पहले प्राची भारत के लिए एक चैंपियन पैरा-स्विमर हुआ करती थी.

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NDTV के साथ एक इंटरव्यू में, प्राची ने दिव्यांग लोगों के लिए संदेश साझा करते हुए कहा,

“यदि आप खुद को दिव्यांग मानते हैं और अगर यह आपने अपने दिमाग में सोच लिया है कि आप दिव्यांग हैं, तो आप दिव्यांग हो जाएंगे. लेकिन यदि आपने मन में ठान लिया है कि आप कुछ करना चाहते हैं तो आपको कोई रोक नहीं सकता है.”

प्राची ने अपने रिश्तेदारों द्वारा उनकी विकलांगता पर की गई टिप्पणियों को याद करते हुए साझा किया,

“मैंने जब खेल की शुरुआत की थी, तब मेरे रिश्तेदार कहते थे कि ये क्या कर सकती है? कुछ भी नहीं कर सकती. साइकिल भी नहीं चला सकती और न ही चल सकती है. जब पहली बार मेरे पिता मेरा एडमिशन कराने गए थे, तो स्कूल वालों ने मुझे लेने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि आपकी बेटी यहां पर कैसे संभालेंगी? इसका कौन सपोर्ट करेगा?”

लेकिन प्राची के पिता ने उनका काफी सपोर्ट किया और एक “मजबूत दिमाग” के साथ उन्होंने अपने आप को काबिल बनाया.

शीतल और प्राची की हार ने मानने वाली जिद काफी प्रेरणादायी है!

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