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समावेशिता की कल्पना: जल संकट से निपटने के लिए कार्य कर रहे हैं बौद्धिक दिव्यांगता वाले ये फोटोग्राफर
समावेशिता का कैनवास! आर्ट फॉर होप दिव्यांग युवाओं को अपने कलात्मक सपनों को पूरा करने के लिए सशक्त बनाता है
नई दिल्ली: “हम महत्वाकांक्षी फोटोग्राफर हैं. हम यूनिक हैं! हम स्पेशल हैं! हमारे पास एक कला है, और यही हमें अविश्वसनीय बनाती है!”
हाल ही में आर्ट फॉर होप कार्यक्रम में 4 प्रतिभाशाली दिव्यांगों ने दर्शकों के सामने अपना परिचय कुछ इस तरह दिया. हुंडई की पहल पर आयोजित इस कार्यक्रम में 10 दिव्यांग कलाकारों की कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं. इसका लक्ष्य समावेश और स्वीकृति की शक्ति को हाईलाइट करना है.
तरित खन्ना – 31 साल, शैशव सिंघल-26 साल, विकास कपाही-47 साल और भारत कुमार-47 साल, ने अपने वाइब्रेंड कैनवस के पास में गर्व से खड़े होकर जल संकट को संबोधित करते हुए अपनी कलाकृतियों में संदेश के बारे में बात की.
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तारित ने कहा,
“ऐसा कर पाना और इसे सभी के साथ शेयर करना कमाल लगता है.”
शैशव ने कहा,
“मेरे लिए, फोटोग्राफी थेरेपी की तरह है.”
रचनात्मकता को दिए गए समय पर विचार करते हुए भरत ने कहा,
“हमने धीरे-धीरे पानी के साथ रंगों को मिलाने, तस्वीरें खींचने और उत्कृष्ट कृतियां बनाने की कला सीख ली. हमने लगभग 3000 शॉट्स लेने के कुछ महीनों बाद पांच खूबसूरत स्नैपशॉट तैयार किए हैं..”
विकास ने जोर देकर कहा,
“ये तस्वीरें समावेश और स्वीकृति की प्रतीक हैं.”
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सोसाइटी फॉर चाइल्ड डेवलपमेंट के संरक्षक और कलाकार सिद्धार्थ पुरी ने इन कलाकारों को सहयोग दिया और डिजिटल कला के कौशल को बढ़ाने में मदद की. उन्होंने कहा कि,
“इन फोटोग्राफिक प्रिंट्स के जरिए मैं दुनिया को दिखाना चाहता था कि समावेशिता हासिल की जा सकती है.”
सिद्धार्थ ने सभी के लिए एक संदेश देकर कार्यक्रम का समापन किया,
“मुझे आशा है कि यह कला आपको समावेशिता अपनाने और हमारी पृथ्वी के प्रति सचेत रहने के लिए प्रेरित करेगी.”
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