ताज़ातरीन ख़बरें

प्रतीक चिन्हों से सजे वॉल पोलिंग बूथ्‍स, दिव्यांगों ने किया मैनेज

भारत के चुनाव आयोग ने 2024 के आम चुनावों में समावेशिता और पहुंच सुनिश्चित करने के प्रयास किए हैं ताकि कोई भी पात्र मतदाता शारीरिक बाधा की वजह से वोट देने के अधिकार से वंचित न रहे

Published

on

NDTV की टीम पूरे भारत में विभिन्न मॉडल बूथों पर मौजूद थी और दिव्यांग लोगों द्वारा सुविधाओं का इस्तेमाल कर आराम से मतदान करने की प्रक्रिया का लाइव कवरेज कर रही थी

नई दिल्ली: ये पोलिंग बूथ कुछ अलग नजर आ रहा है. इसकी दीवारें कई तरह की डिस्एबिलिटी-व्हीलचेयर, इंफिनिटी लूप, शेडेड आई (shaded eye) को दर्शाने वाले प्रतीक चित्रों से भरी हुई हैं. सुवर्णा राज (Suvarna Raj) हमें इस बूथ का बड़ी गर्मजोशी से दौरा कराती हैं. पैरा एथलीट और भारत के चुनाव आयोग में डिसेबिलिटी एम्बेसडर सुवर्णा कहती हैं, “पहले पहुंच के लिए ऐसी सुविधाएं मौजूद नहीं थीं. न रैंप, न सुलभ शौचालय, न ब्रेल. इसलिए हम वोट देने जाने से झिझकते थे.”

इसे भी पढ़ें: ऊंचे हौसले और व्हीलचेयर के साथ दुनिया भर की सैर

हालांकि, इस साल के चुनाव अलग हैं. सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी पात्र मतदाता दिव्‍यांगता की वजह से वोट देने के अधिकार से वंचित न रहे.

NDTV की टीम भारत भर में विभिन्न मॉडल बूथों पर मौजूद थी. उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, गौरीगंज और पश्चिम बंगाल में कूचबिहार, जहां दिव्यांग लोगों द्वारा सुविधाओं का इस्तेमाल करके आसानी से मतदान करने की लाइव कवरेज की जा रही थी.

कूचबिहार का बूथ मॉडल बाकी बूथों में अलग रहा. इसमें न केवल एक्सेसिबिलिटी फैसलिटी दी गई थीं, बल्कि इसको मैनेज भी दिव्यांग लोगों के जरिए किया जा रहा था. ताहिर नाम के एक मतदाता ने कहा,

“समावेशिता का यही मतलब है. हम भी किसी अन्य व्यक्ति की ही तरह अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहते हैं.”

सुवर्णा का कहना है कि जागरूकता बढ़ाने की चुनाव आयोग की पहल से लाखों दिव्यांग मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में मदद मिली है. सुवर्णा कहती हैं,

“मैं चाहती हूं कि हर बूथ एक्सेसेबल हो.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version